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April 21, 2024
Holika Dahan 2021: होलिका दहन के शुभ मुहूर्त से लेकर महत्व, पूजा विधि और उपाय तक, जानें त्योहार से जुड़ी हर एक बात
Namo TV Bharat March 28, 2021
होलिका दहन इस बार 28 मार्च रविवार को है और अगले दिन 29 मार्च सोमवार को होली का त्योहार है। अच्छी बात ये है कि होलिका दहन पर इस बार भद्रा का साया नहीं होगा। होलिका दहन की पूजा विधि और किस राशि वालों को अग्नि में क्या डालना चाहिए, जानें।
खास बातें
- शाम में 6.37 से 8.56 बजे तक होलिका दहन का शुभ मुहूर्त है
- सर्वार्थ सिद्धि से लेकर अमृत सिद्धि तक, बनने के कई शुभ योग हैं
- होलिका दहन पर राशि अनुसार जानें अग्नि में क्या डालने से लाभ होगा
भक्त प्रहलाद, हरन्यकश्यप और उनकी बहन होलिका से जुड़ी होलिका दहन की पौराणिक कथा (होलिका दहन कथा) तो हम सभी जानते हैं। यही कारण है कि होलिका दहन को स्पष्ट पर अच्छाई की जीत से जोड़कर देखा जाता है। होलिका दहन का त्योहार इस बार 28 मार्च रविवार को है और उसके अगले दिन 29 मार्च सोमवार को होली का त्योहार (होली महोत्सव) मनाया जाएगा जिसे धुलेंडी भी कहा जाता है। होलिका तैराकी का शुभ मुहूर्त (शुभ मुहूर्त) क्या है, झाड़ से पहले कैसे करें पूजा, किस राशि वालों को होलिका की अग्नि में क्या अर्पित करना चाहिए, यहां जानें हर एक डिटेल।
होलिका तैराकी का शुभ मुहूर्त
होलिका दहन का मुहूर्त- 28 मार्च रविवार को शाम को 6.37 बजे रात में 8.56 बजे तक
शुभ मुहूर्त का कुल समय- 2 घंटे 20 मिनट
इसी मुहूर्त में होलिका दहन करना बेहद शुभ होगा और इस साल होलिका दहन के समय भद्रा (होलिका दहन के दौरान कोई भी भद्रा नहीं) रहेगी। रविवार दिन में 1.33 बजे भद्रा समाप्त हो जाएगी, साथ ही पूर्णिमा तिथि रविवार रात में 12:40 बजे तक रहेगी। शास्त्रों की मानें तो भद्रा रहित पूर्णिमा तिथि में ही होलिका दहन किया जाता है।
होलिका सींग पर बन रहे शुभ योग
अभिजीत मुहूर्त- 28 मार्च दोपहर 12.07 मिनट से 12.56 बजे तक
अमृत काल- 28 मार्च को सुबह 11.04 मिनट से दोपहर 12.31 मिनट तक
सर्वार्थसिद्धि योग- 28 मार्च को सुबह 6.26 से शाम 5.36 तक रहेगा
अमृत योग- 28 मार्च को सुबह 5.36 बजे से 29 मार्च को सुबह 6.25 मिनट तक रहेगा
होलिका दहन पूजा विधि
होलिका सींग से पहले उसकी पूजा की जाती है। पूजन सामग्री में एक लोटा गंगाजल, रोली, माला, अक्षत, धूप या अगरबत्ती, पुष्प, गुड़, कच्चे सूत का धागा, साबूत हल्दी, मूंग, बताशे, नारियल और नई फसल के अनाज गेंहू की बालियों, पके चने आदि होते हैं। इसके बाद पूरी श्रद्धा से होली के चारों और परिक्रमा करते हुए कच्चे सूत के सिक्के को लपेटा जाता है। होलिका की परिक्रमा तीन या सात बार की जाती है। इसके बाद शुद्ध जल सहित अन्य पूजा सामग्रियों को होलिका को अर्पित किया जाता है। इसके बाद होलिका में कच्चे आम, नारियल, अनाज, चीनी के खिलौने, नई फसल इत्यादि की आहुति दी जाती है।
राशि अनुसार जानें होलिका की अग्नि में क्या डालें
मेष- होलिका दहन में ग्राम की आहुति दें। ऐसा करने से मानसिक परेशानियों से छुटकारा मिलेगा
वृष- इस राशि के लोग चीनी से आहुति दें। बाधाएं दूर होंगी।
मिथुन- अपामार्ग और गेंहू की बाली से हालिका विभाजन करें और कपूर से आहुति दें।
कर्क-लोहबान से होलिका दहन में आहुति दें। नौकरी और करियर से जुड़े हुए शुभ ऑनलाइन
सिंह- ग्राम की आहुति देकर पितरों को जरूर याद करें, व्यापार से जुड़ी परेशानियां दूर होंगी।
कन्या- कपूर की आहुति दें। कार्यक्षेत्र में आने वाली सभी बाधाएँ दूर हो जाएँगी।
तुला- गूलर की लकड़ी के जलाशय और कपूर की आहुति दें। जीवन की परेशानियों से छुटकारा मिलेगा।
वृश्चिक- होलिका दहन में ग्राम की आहुति दें। लाभ होगा।
धनु- होलिका दहन में जौ व चना की आहुति दें। भगवान विष्णु की पूजा भी करें।
मकर- होलिका दहन शमी की लकड़ी से करें और तिल की आहुति दें। आपके जीवन में आने वाली परेशानियां दूर होंगी।
कुंभ- शमी की लकड़ी से होलिका दहन करें और तिल की आहुति दें।
मीन- होलिका दहन में जौ व चना की आहुति दें। इसके बाद पितरों का आभार व्यक्त करें। स्वास्थ्य संबंधी परेशानी दूर होगी।
(नोट: इस लेख में दी गई सूचना सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं। नमो टीवी भारत इनकी पुष्टि नहीं करता है। ये पर अमल करने से पहले किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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