महामंडलेश्वर स्वामी पूर्णानंद पुरी महाराज ने कलश स्थापना की संक्षिप्त विधि बताई
आपके यहाँ इस बार नवरात्रि पर कोई ब्राह्मण देवता कलश स्थापना के लिए नहीं पहुंच सकेंगे ,इसीलिए वैदिक ज्योतिष संस्थान की ओर से महामंडलेश्वर स्वामी पूर्णानंद पुरी महाराज ने कलश स्थापना की संक्षिप्त विधि बताई जा रही है,इस विधि से कलश स्थापना कर मां को प्रसन्न कर देश की खुशहाली की प्रार्थना करें
कलश स्थापना की सामग्री एवं बिधि
सामग्री:-
1- घड़ा और सकोरा
2- नारियल(पानी वाला)1
3- थोड़े से जौ और बालू या मिट्टी
4- चावल
5- कलावा
6- चुनरी
7- जनेऊ 1
8- कमल गट्टा 5
9- चांदी का सिक्का 1
10-सुपारी 3
11-लौंग के जोड़े 9
12-हल्दी की गांठ 3
13-इलायची 3
14-दूर्वाघास
15-फल 5 प्रकार के
16-मिष्ठान
17-अशोक के पत्ते
18-फूलमाला
19-बेलपत्र
20-पान का पत्ता 1
21-थोड़ी सी दरवाजे या चौराहे की मिट्टी
बिधि:-
1- परात को धोकर या जमीन को पवित्र कर रोली से सतिया (स्वस्तिक)बनाये। 2- जौ को गंगाजल से पवित्र कर बालू (मिट्टी) में मिलाकर परात में या जमीन पर रखें ऊपर से घड़े को रखें।
3- घड़े (कलश)की गर्दन पर कलावा बाँधे तथा घड़े पर रोली से 3 सतिये बनाये।
4- सारी सामग्री(गंगाजल,कमलगट्टा, सुपारी, लौंग के जोड़े, हल्दी की गांठ, इलायची, दूर्वाघास,घर के दरवाजे या चौराहे की मिट्टी)व चांदी के सिक्के को कलश के जल में डाल दे।
5- कलश में आम या अशोक के पत्ते लगाकर,सकोरे में चावल भरकर कलश पर रख दे।
6- चावलों के ऊपर नारियल रखकर उसे चुनरी और जनेऊ पहनाये।
7- रोली व चावल से नारियल का टीका करके माला पहनाये, बेलपत्र ,थोड़ा इत्र( रुई में लगाकर) गुलाल या हल्दी व दुर्वाघास भी चढ़ाये।
8- फल और मिठाई के ऊपर पान का पत्ता रखकर भोग लगाये।
9- प्रतिदिन मातारानी की आरती व पाठ कर अपने परिवार की मंगल कामना व समृद्धि के लिए इसी कलश को माँ का स्वरूप मान कर नौ दिन तक उपवास सहित प्रार्थना कर प्रणाम करे।