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Mann Ki Baat कार्यक्रम में बोले PM Modi- तमिल नहीं सीख पाना, मेरी एक कमी
Namo TV Bharat February 28, 2021
Mann Ki Baat कार्यक्रम में बोले PM Modi- तमिल नहीं सीख पाना, मेरी एक कमी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने मन की बात कार्यक्रम (Mann Ki Baat) के जरिए देशवासियों को संबोधित करते हुए बताया कि दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल (Tamil) नहीं सीख पाने का उनको मलाल है.
खास बातें
- पीएम मोदी को तमिल नहीं सीख पाने का मलाल
- उन्होंने कहा तमिल नहीं सीख पाना मेरी एक कमी
- पीएम मोदी ने कहा तमिल दुनिया भर में लोकप्रिय
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने रविवार (28 फरवरी) को मन की बात कार्यक्रम (Mann Ki Baat) के 74वें एपिसोड के जरिए देशवासियों को संबोधित किया. इस दौरान पीएम मोदी ने अपनी एक कमी का जिक्र किया और बताया कि दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल (Tamil) नहीं सीख पाने का उनको मलाल (Narendra Modi Regrets) है. उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी सुंदर भाषा है, जो दुनिया भर में लोकप्रिय है.
तमिल नहीं सीख पाना मेरी एक कमी: पीएम
मन की बात कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी ने बताया कि तमिल भाषा नहीं सीख पाना उनकी एक कमी है. उन्होंने कहा, ‘कुछ दिन पहले हैदराबाद की अपर्णा रेड्डी जी ने मुझसे ऐसा ही एक सवाल पूछा. उन्होंने कहा कि आप इतने साल से पीएम हैं, इतने साल सीएम रहे, क्या आपको कभी लगता है कि कुछ कमी रह गई. अपर्णा जी का सवाल बहुत सहज है, लेकिन उतना ही मुश्किल भी.’ पीएम मोदी ने कहा, ‘मैंने इस सवाल पर विचार किया और खुद से कहा मेरी एक कमी ये रही कि मैं दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल (Tamil) सीखने के लिए बहुत प्रयास नहीं कर पाया, मैं तमिल नहीं सीख पाया. यह एक ऐसी सुंदर भाषा है, जो दुनिया भर में लोकप्रिय है.’
क्या होती है आत्मनिर्भर भारत की शर्त: पीएम मोदी
मन बात की कार्यक्रम में पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर भारत को लेकर भी बात की. उन्होंने कहा, ‘आत्मनिर्भर भारत की पहली शर्त होती है- अपने देश की चीजों पर गर्व होना, अपने देश के लोगों द्वारा बनाई वस्तुओं पर गर्व होना. जब प्रत्येक देशवासी गर्व करता है, प्रत्येक देशवासी जुड़ता है, तो आत्मनिर्भर भारत सिर्फ एक आर्थिक अभियान न रहकर एक राष्ट्रीय भावना बन जाती है.’
अभी से शुरू करना चाहिए पानी का संरक्षण: पीएम
पीएम मोदी ने कहा, ‘इस बार हरिद्वार में कुंभ भी हो रहा है. जल हमारे लिए जीवन भी है, आस्था भी है और विकास की धारा भी है. पानी एक तरह से पारस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है. जल संरक्षण के लिए हम सब को अपनी जिम्मेदारी समझनी पड़ेगी. वैसे ही पानी का स्पर्श जीवन के लिए जरूरी है. पानी के संरक्षण के लिए हमें अभी से ही प्रयास शुरू कर देने चाहिए, 22 मार्च को विश्व जल दिवस भी है.’
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