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April 21, 2024
Mahashivratri 2021: शिवलिंग पर नहीं चढ़ाई जाती हैं ये 7 चीजें, जाने पूजा विधि व शुभ मुहूर्त
Namo TV Bharat March 11, 2021
तीन संयोगों का मुहूर्त– 11 मार्च को सुबह 9:24 तक शिव योग रहेगा. इसके बाद सिद्ध योग लग जाएगा, जो 12 मार्च सुबह 8:29 तक रहेगा. शिव योग में किए गए सभी मंत्र शुभफलदायक होते हैं. इसके साथ ही रात 9:45 तक घनिष्ठा नक्षत्र रहेगा.
महाशिवरात्रि
इस बार क्या है शुभ मुहूर्त– इस साल महाशिवरात्रि पर निशीथ काल में पूजा का मुहूर्त रात 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 54 मिनट तक रहेगा. पूजा की कुल अवधि करीब 48 मिनट तक रहेगी. पारण मुहूर्त 12 मार्च को सुबह 6 बजकर 36 मिनट से दोपहर 03 बजकर 04 मिनट तक रहेगा.
महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि की पूजा विधि– प्रात:काल में जल्दी उठकर स्नान करें. इसके बाद मिट्टी के लोटे में पानी या दूध भरकर उसके ऊपर बेलपत्र डालें. धतूरे के फूल डालें. चावल आदि डालें और फिर इन्हें शिवलिंग पर चढ़ाएं. यदि आप शिव मंदिर नहीं जा सकते हैं तो घर पर ही मिट्टी का शिवलिंग बनाकर आपका उनका पूजन कर सकते हैं. शिव पुराण का पाठ करें और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करें.
महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण का भी विधान बताया गया है. इसके बाद शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार शिवरात्रि का पूजन निशीथ काल में करना सबसे ज्यादा सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. हालांकि भक्त रात्रि के चारों पहरों में से अपनी सुविधा के अनुसार इस दिन का पूजन कर सकते हैं.
शिवलिंग पर नहीं चढ़ाया जाता. जानते हैं ये चीजें कौन सी हैं और इन्हें शिवलिंग पर क्यों नहीं चढ़ाया जाता है.
तुलसी: वैसे तो हिंदू धर्म में तुलसी का विशेष महत्व है लेकिन इसे भगवान शिव पर चढ़ाना मना है.
तिल: शिवलिंग पर तिल भी नहीं चढ़ाया जाता है. मान्याता है कि तिल भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ है इसलिए इसे भगवान शिव को अर्पित नहीं किया जाता.
टूटे हुए चावल: टूटे हुए चावल भी भगवान शिव को अर्पित नहीं किए जाते हैं. शास्त्रों के मुताबिक टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध होता है.
कुमकुम: भगवान शिव को कुमकुम और हल्दी चढ़ाना भी शुभ नहीं माना गया है.
नारियल: शिवलिंग पर नारियल का पानी भी नहीं चढ़ाया जाता. नारियल को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. देवी लक्ष्मी का संबंध भगवान विष्णु से है इसलिए नारियल शिव को नहीं चढ़ता.
शंख: भगवान शिव की पूजा में कभी शंख का प्रयोग नहीं किया जाता. शंखचूड़ नाम का एक असुर भगवान विष्णु का भक्त था जिसका वध भगवान शिव ने किया है. शंख को शंखचूड़ का प्रतीक माना जाता है. यही कारण है कि शिव उपासना में शंख का इस्तेमाल नहीं होता.
केतकी का फूल: भगवान शिव की पूजा में केतकी के फूल को अर्पित करना वर्जित माना जाता है.
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