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May 27, 2023
एटीएस का दावा- सचिन वझे, हिरेन की हत्या का दिया था ऑर्डर, बुकी और दागी मुंबई पुलिसकर्मी गिरफ्तार
Namo TV Bharat March 22, 2021
एटीएस का दावा- सचिन वझे, हिरेन की हत्या का दिया था ऑर्डर, बुकी और दागी मुंबई पुलिसकर्मी गिरफ्तार
मुंबई में व्यवसायी मनसुख हिरेन की कथित हत्या का केस सुलझाने का दावा करते हुए महाराष्ट्र एटीएस ने दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. एटीएस ने इसमें निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वझे को मुख्य आरोपी बनाया है. एटीएस ने एक पुलिसकर्मी और एक सट्टेबाज को गिरफ्तार किया है. एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि मुंबई पुलिस के निलंबित अधिकारी सचिन वझे ने अपराध में मुख्य भूमिका निभाई थी और वह मुख्य आरोपी के तौर पर सामने आए हैं.
वाझे सिर्फ एक मोहरा-बीजेपी
एटीएस ने हिरेन हत्याकांड के संबंध में अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धाराओं 302 (हत्या), 201 (साक्ष्य मिटाने), 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) और 34 (साझा मंशा) के तहत मामला दर्ज किया है. इस बीच, बीजेपी ने कहा कि इस पूरे खेल में वाझे सिर्फ एक मोहरा हो सकता है.
हिरेन केस में मुख्य साजिशकर्ता कौन
अधिकारी के अनुसार एटीएस जांच कर रही है कि मुख्य षड्यंत्रकारी (हिरन हत्याकांड में) कौन है. दोनों आरोपियों को मामले में पूछताछ के लिए शनिवार को एटीएस मुख्यालय बुलाया गया था, बाद में उन्हें गिरफ्तार किया गया. राज्य एटीएस ने अभी तक कई लोगों से पूछताछ की है, जिनमें पुलिस अधिकारी और मृतक के परिजन शामिल हैं. इन दो लोगों की गिरफ्तारी इस मामले में महत्वपूर्ण प्रगति है.
शर्मसार होती मुबंई पुलिस, एक से बढ़कर एक दागी पुलिसवाले
एटीएस अधिकारी ने बताया कि शनिवार देर रात गिरफ्तार दोनों आरोपियों की पहचान पुलिसकर्मी विनायक शिंदे और सट्टेबाज नरेश गौर के रूप में हुई है. अधिकारी ने दिन में सट्टेबाज का नाम नरेश धरे बताया था लेकिन बाद में उसका नाम नरेश गौर बताया गया. उन्होंने बताया कि शिंदे 2006 के लाखन भैया फर्जी मुठभेड़ मामले का दोषी है और वह पिछले ही साल फर्लों पर जेल से रिहा हुआ था. उसके बाद से ही शिंदे वझे के संपर्क में था.
मनसुख की हत्या के वक्त वझे खुद मौजूद नहीं था
शिंदे मई 2020 से रिटायर्ड एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा की टीम में सचिन वझे के साथ काम कर रहा था. एटीएस को शक है कि इस मामले में कई पुलिसकर्मी शामिल हो सकते हैं. एटीएस के अनुसार, वझे ने ही कथित रूप से मनसुख के मारने को कहा था लेकिन हत्या के वक्त वह वहां खुद मौजूद नहीं था. एटीएस ने वझे और अन्य की मनसुख से बातचीत की कॉल रेकॉर्ड के आधार पर संदिग्धों को पकड़ा है.
30 मई तक पुलिस कस्टडी में आरोपी
गौर और शिंदे को एटीएस कोर्ट में पेश किया गया जहां से उन्हें 30 मार्च तक की पुलिस कस्टडी में भेजा गया है. एटीएस चीफ जयजीत सिंह ने बताया कि बुकी गौर ने पांच सिम कार्ड खरीदे थे और उसे शिंदे को दे दिया था जो वझे के संपर्क में था. एटीएस का कहना है कि यह सिर्फ शुरुआत है, एक या दो दिन में और संदिग्ध पकड़े जाएंगे.
सचिन वाझे ने रची थी साजिश
दोनों आरोपियों ने अपने आरोप नहीं स्वीकार किए हैं लेकिन वझे और दूसरे पुलिसकर्मियों पर कुछ खुलासे किए हैं. अधिकारियों के मुताबिक वझे ने मनसुख को विस्फोटक रखने की जिम्मेदारी दी थी, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया था.
डर से बनाया मनसुख की हत्या का प्लान
शुरुआती जांच में सामने आया है कि वझे ने मनसुख की हत्या की साजिश इसलिए रची क्योंकि उन्हें डर था कि मनसुख उनके प्लान के बारे में सब उगल देंगे. मनसुख को मारने का प्लान 2 मार्च को बनाया गया. वझे ने दोनों साथियों के साथ मिलकर क्रॉफर्ड मार्केट स्थित अपने हेडक्वॉर्टर में दो घंटे तक मीटिंग भी की थी.
शिंदे ने ही खुद को तावड़े साहब बताया था
एटीएस अधिकारी के अनुसार, प्रथमदृष्टया शिंदे ने हिरेन को उपनगर कांदीवली से चार मार्च को फोन किया था और खुद को तावड़े साहब बताया था. इसके एक दिन बाद ही हिरेन का शव बरामद हुआ था. बता दें कि हिरेन चार मार्च को ठाणे स्थित अपने आवास से निकले थे और उन्होंने अपनी पत्नी विमला को बताया था कि उन्हें कांदीवली में तावड़े साहब ने पूछताछ के लिए बुलाया है.
हिरेन केस में कितने लोग शामिल थे
अधिकारी ने बताया कि हिरेन हत्याकांड में सचिन वझे मुख्य आरोपी है. उन्होंने मुख्य भूमिका निभाई है. जांच के दौरान एटीएस को पता चला कि सट्टेबाज नरेश गौर ने एपीआई वझे और शिंदे को अपराध के लिए पांच सिमकार्ड मुहैया कराए थे. शिंदे अवैध गतिविधियों में वझे की मदद किया करते थे. उन्होंने कहा कि एटीएस जांच कर रही है कि क्या मामले में और लोग भी संलिप्त हैं और उनकी क्या भूमिका रही है.
एनआईए की हिरासत में है वझे
जांच के अनुसार, उस दिन रात करीब 11 बजे जब विमला और उनके बेटों ने हिरेन को फोन करने की कोशिश की तो उनका फोन बंद जा रहा था. हिरेन ने दावा किया था कि उनकी एसयूवी चोरी हो गई थी. यह एसयूवी 25 फरवरी को उद्योगपति मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित आवास के निकट मिली थी. इस वाहन से विस्फोटक सामग्री मिली थी. वझे फिलहाल एनआईए की हिरासत में हैं.
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