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Naxals attack: कोबरा कमांडो को छोड़ने के बदले नक्सलियों ने रखी ये शर्त, पिछले 90 घंटो से अधिक समय से नक्सलियों के कब्जे में है जवान
Namo TV Bharat April 07, 2021
Chhattisgarh Naxals attack: कोबरा कमांडो को छोड़ने के बदले नक्सलियों ने रखी ये शर्त, पिछले 90 घंटो से अधिक समय से नक्सलियों के कब्जे में है जवान
हाइलाइट्स:
- माओवादियों ने बयान जारी कर शनिवार को हुए मुठभेड़ की ली जिम्मेदारी
- बयान में लापता कोबरा कमांडो के अपने कब्जे में होने का दावा किया
- नक्सलियों ने सरकार से मध्यस्थ को नियुक्त करने की रखी शर्त
हिडमा पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) बटालियन नं। 1, दंडकारण्य में विद्रोहियों का सबसे मजबूत सैन्य गठन जो छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के अलावा आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों को कवर करता है।
रायपुर : छत्तीसगढ़ के बीजापुर में बीते शनिवार को हुए जवानों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हो गए। 31 जवान घायल हुए हैं। वहीं एक सीआरपीएफ का एक कोबरा कमांडो लापता है। उसका नाम राकेश्वर सिंह मनहास है।
मंगलवार को नक्सलियों ने प्रेस नोट जारी किया। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की तरफ से प्रेस नोट जारी कर हमले की जिम्मेदारी ली गई है। नक्सलियों की तरफ से आए इस बयान में इस बात की पुष्टि की गई कि लापता जवान उनके कब्जे में है। बयान में यह भी कहा गया कि सरकार मध्यस्थों का ऐलान करें तो वो जवान को उन्हें सौंप देंगे। तब तक वह जनताना सरकार की सुरक्षा में रहेगा।
कोबरा कमांडो को छोड़ने के बदले नक्सलियों ने रखी ये शर्त
बयान में माओवादियों ने स्वीकार किया है कि इस मुठभेड़ में उनके चार साथी भी मारे गए हैं। उन चारों का नाम ओड़ी सन्नी, पदाम लखमा, कोवासी बदरू और नूपा सुरेश बताया गया है।
दो पन्नों के बयान में माओवादियों ने कहा है कि वो अपनी महिला साथी सन्नी के शव को नहीं ले जा सके। बयान में कहा गया है कि मुठभेड़ के दौरान नक्सलियों ने 14 हथियार, दो हजार से अधिक कारतूस और कुछ अन्य सामान भी लूटे हैं। बयान के साथ उन्होंने कथित रूप से लूटे गए हथियारों की फोटो भी जारी की है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि उन्हें नक्सलियों द्वारा बयान जारी करने की जानकारी मिली है और बयान की सच्चाई की जांच की जा रही है।
वहीं बस्तर क्षेत्र में आदिवासियों के लिए काम करने वाली समाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी ने नक्सलियों से अपील की है कि वह जवान राकेश्वर सिंह को रिहा कर दें। सोरी ने कहा है कि अगर नक्सली जवान राकेश्वर सिंह की रिहाई में देरी करते हैं तो वो बुधवार को मुठभेड़ स्थल की ओर जाएगी और माओवादियों से बात करने की कोशिश करेंगी। गौरतलब है कि इस हमले को लेकर दावा किया जा रहा था कि सुरक्षाबलों से चूक के चलते यह घटना हुई। लेकिन सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह ने नक्सली ऑपरेशन में सुरक्षाबलों की चूक की बात को नकारा दिया है।
राज्य के सुकमा और बीजापुर के सीमावर्ती क्षेत्र में नक्सल विरोधी अभियान में शुक्रवार को सुरक्षा बलों को रवाना किया गया था। इस अभियान में जवान राकेश्वर सिंह भी शामिल थे। शनिवार को टेकलगुड़ा और जोनागुड़ा गांव के करीब सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में सुरक्षा बलों के 22 जवानों की मृत्यु हो गई तथा 31 अन्य जवान घायल हो गए। वहीं राकेश्वर सिंह लापता हो गए। शहीद जवानों में सीआरपीएफ के कोबरा बटालियन के सात जवान, सीआरपीएफ के बस्तरिया बटालियन का एक जवान, डीआरजी के आठ जवान और एसटीएफ के छह जवान शामिल हैं।
राज्य में इस बड़े नक्सली हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को छत्तीसगढ़ का दौरा किया था। इस दौरान शाह ने बस्तर में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी तथा जवानों से मुलाकात की। उन्होंने रायपुर के अस्पतालों में भर्ती घायल जवानों से भी मुलाकात की थी।
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