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स्वामी प्रभुपाद की 125वीं जयंती पर पीएम मोदी ने ₹125 का विशेष स्मारक सिक्का किया जारी
Namo TV Bharat September 01, 2021
स्वामी प्रभुपाद की 125वीं जयंती पर पीएम मोदी ने ₹125 का विशेष स्मारक सिक्का किया जारी
पीएम ने कहा कि परसो श्री कृष्ण जन्माष्टमी थी और आज हम श्रील प्रभुपाद जी की 125वीं जन्मजयंती मना रहे हैं. ये ऐसा है जैसे साधना का सुख और संतोष एक साथ मिल जाए.
- भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद की 125वीं जयंती
- पीएम ने विशेष स्मारक सिक्का किया जारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद की 125वीं जयंती के अवसर पर बुधवार को ₹125 का एक विशेष स्मारक सिक्का जारी किया. इस मौके पर पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया.
उन्होंने कहा कि परसो श्री कृष्ण जन्माष्टमी थी और आज हम श्रील प्रभुपाद जी की 125वीं जन्मजयंती मना रहे हैं. ये ऐसा है जैसे साधना का सुख और संतोष एक साथ मिल जाए. इसी भाव को आज पूरी दुनिया में श्रील प्रभुपाद स्वामी के लाखों करोड़ों अनुयाई और लाखों करोड़ों कृष्ण भक्त अनुभव कर रहे हैं.
पीएम ने कहा कि आज ये सुखद संयोग है कि ऐसे महान देशभक्त का 125वां जन्मदिन ऐसे समय में हो रहा है, जब देश अपनी अपनी आजादी के 75 साल का पर्व अमृत महोत्सव मना रहा है. बता दें कि स्वामी प्रभुपाद जी ने इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) की स्थापना की थी जिसे आमतौर पर “हरे कृष्ण आंदोलन” के रूप में जाना जाता है.
आस्था का मतलब है उमंग, उत्साह और उल्लास व मानवता पर विश्वास
पीएम मोदी ने कहा कि हम जब भी किसी दूसरे देश में जाते हैं, और वहां जब लोग ‘हरे कृष्ण’ बोलकर मिलते हैं तो हमें कितना अपनापन लगता है। कितना गौरव भी होता है। कल्पना करिए, यही अपनापन जब हमें मेक इन इंडिया प्रोडक्ट्स के लिए मिलेगा तो हमें कैसा लगेगा। उन्होंने कहा कि आज दुनिया के अलग अलग देशों में सैकड़ों इस्कॉन मंदिर हैं, कितने ही गुरुकुल भारतीय संस्कृति को जीवंत बनाए हुए हैं। इस्कॉन ने दुनिया को बताया है कि भारत के लिए आस्था का मतलब है- उमंग, उत्साह, और उल्लास और मानवता पर विश्वास।
स्वामी प्रभुपाद ने इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) की स्थापना की थी। इसे आमतौर पर ‘हरे कृष्ण आंदोलन’ के रूप में जाना जाता है। इस्कॉन ने श्रीमद् भागवत गीता और अन्य वैदिक साहित्य का 89 भाषाओं में अनुवाद किया जो दुनिया भर में वैदिक साहित्य के प्रसार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। स्वामी प्रभुपाद ने दुनियाभर में 100 से अधिक मंदिरों की भी स्थापना की। उन्होंने विश्व को भक्ति योग का मार्ग दिखाने वाली कई किताबें लिखीं।
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