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स्थानीय नीति एवं आरक्षण के मुद्दे को लेकर आजसू के संथाल परगना प्रवक्ता ने कुंडहित में किया प्रेस कॉन्फ्रेंस
Namo TV Bharat September 16, 2022
स्थानीय नीति एवं आरक्षण के मुद्दे को लेकर आजसू के संथाल परगना प्रवक्ता ने कुंडहित में किया प्रेस कॉन्फ्रेंस
रिपोर्ट: चंचल गिरी
झारखंड, (जामताड़ा)। शुक्रवार को बस स्टैंड प्रांगण में आजसू के संथाल परगना प्रवक्ता माधव चंद्र महतो ने स्थानीय नीति एवं आरक्षण के मुद्दे को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों को कहा कि दिनांक 14 सितंबर 2022 को झारखंड सरकार के द्वारा कैबिनेट के माध्यम से झारखंड के चिर डिमांड जो था जिस उद्देश्य से झारखंड बना था 1932 का खतियान और ओबीसी को 27% आरक्षण इन विषय पर झारखंड के माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कैबिनेट ने निर्णय लिया है सबसे पहले तो मैं उनको साधुवाद देना चाहता हूं जल्दबाजी में ही सही हड़बड़ी में ही सही राजभवन में उस लिफाफा के डर से ही सही लेकिन उन्होंने जो बहुप्रतीक्षित एजेंडा था जनमानस का 1932 का खतियान और ओबीसी के 27% आरक्षण इन विषयों को उन्होंने रखा लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि आजसू की एक लंबा संघर्ष इसके पीछे रहा है लाखों की संख्या में हमलोगों ने एक स्लोगन दिया था की खतियान के वास्ते संघर्ष के रास्ते 3 दिन तक अलग-अलग प्रमंडल के कार्यकर्ता मुख्यमंत्री सचिवालय में हस्ताक्षरित फॉर्म को हम लोगों ने इस डिमांड के खातिर सबमिट किया था।
लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि यह एक दुर्भाग्य है कि जिस प्रकार से यह निर्णय लिया गया वह झारखंड जनता को फिर से एक बार चलने का प्रयास किया है आप सभी जानते हैं कि संविधान के तीन सूची होते हैं राज्य सूची केंद्र सूची और समवर्ती सूची राज्य का स्थानीयता का निर्धारण जातियों के जनसंख्या के आधार पर उनको आरक्षित करना यह राज्य सूची के अधीन पड़ता है यानी कि माननीय मुख्यमंत्री और उनके कैबिनेट उनके सरकार की मंशा अगर साफ होती तो यह शेड्यूल नाइंथ मैं डालने की बातें और रिकोमेंडेन्स करके देश की सरकार को भेजना या कहीं ना कहीं दर्शाता है कि इस विषय को लेकर वर्तमान सरकार राजनीति करना चाहती है मैं आपको बताऊं यह बात सही है कि संविधान के नौवा अनुच्छेद में इसको डाल देने के बाद कोर्ट इस पर इंटरफेयर नहीं कर सकती यह बात बहुत अच्छी हैं।
कोई कोर्ट जाने की विषय नहीं है उसके बावजूद भी इसको केंद्र सरकार के पाले में डाल देना यह निहायत एक राजनीति है अब अलग-अलग विचार के लोग इस राज्य के अंदर में समर्थन और विरोध में अपना झंडा को बुलंद करेंगे। जैसा मैं आपको बताना चाहूंगा कि आज नियुक्ति के लिए जो भी वैकेंसी निकलती है तो लोग कोर्ट जाते हैं। अगर 1932 खतियान को लेकर कोई व्यक्ति कोई नागरिक झारखंड का कोर्ट जाता तो जैसे बाद में कोर्ट को एफिडेविट सर कर देती है इसमें भी यह दिया जा सकता था लेकिन यह ना करके और सीधे इसको केंद्र सरकार के पास भेज देना महज एक राजनीति है और वोट बैंक की राजनीति है। मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं।
मौके पर जिला महासचिव ननीगोपाल गोराई, खिरोद सिंह, प्रखंड अध्यक्ष गया प्रसाद मंडल, फुचु सिंह, मीडिया प्रभारी सोमनाथ सिंह, सुबोध कोड़ा, शेख सत्तार, संतोष रवि दास, संतोष मंडल, आलोक कु मित्रा, भैरव सिंह, आदरी बास्की आदि मौजूद थे।
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