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September 03, 2024
प्राथमिक विद्यालय मांजगेडिया में विदाई सह सम्मान समारोह आयोजित कर सेवानिवृत्त शिक्षक को दी गई भावभीनी विदाई।
Namo TV Bharat September 30, 2022
प्राथमिक विद्यालय मांजगेडिया में विदाई सह सम्मान समारोह आयोजित कर सेवानिवृत्त शिक्षक को दी गई भावभीनी विदाई।
रिपोर्ट: चंचल गिरी
झारखंड, जामताड़ा। शुक्रवार को कुंडहित शैक्षणिक अंचल के प्राथमिक विद्यालय मांजगेड़िया में एक विदाई सह सम्मान समारोह का आयोजन कर प्रधानाध्यापक सुखेन गण को भावभीनी विदाई दिया गया। विदाई समारोह गांव के वरिष्ठ नागरिक विश्वनाथ पातर के अध्यक्षता में किया गया। विदाई समारोह में बतौर मुख्य अतिथि माधव चंद्र महतो ने सम्बोधित करते हुए कहा कि सरकारी सेवा में योगदान के निर्धारित समय पर सेवा से मुक्त किया जाता है। लेकिन शिक्षक कभी भी सेवानिवृत्त नही होते है। सेवानिवृत्त के बाद शिक्षक का सामाजिक दायित्व अधिक हो जाता है। सरकारी विद्यालय से सेवानिवृत्त होने के बाद समाज एंव परिवार में शिक्षा प्रदान करते हैं। उन्होंने भगवान से सुखेन गण की शेष जीवन सुखमय, आनन्द तथा परिवार में खुशहाल होने की कामना की। सम्बोधित करते हुए शिक्षक अर्जुन मंडल, दामोदर घोष, कृत्यानंद झा, पत्रकार अमित नाग,शांतिमय माजि, देविश्वर सोरेन, विद्यालय के अध्यक्ष रंजित पातर, ब्रजमोहन पातर, घनश्याम गोराई आदि वक्ताओ ने अपने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि सरकारी सेवा के 60 वर्ष पूर्ण होने पर विद्यालय के सेवा से मुक्त हो जाता है। पर समाज एंव परिवार के सेवा से मुक्त नही होता है। कहा कि शिक्षक सुखेन गण एक ऐसे व्यक्तित्व के मालिक है जिन्होंने बंजर भूमि में हरियाली ला दिया है। इस विदाई सह सम्मान समारोह के दौरान विद्यालय के छात्र-छात्राएं विद्यालय से शिक्षक के विदा होने पर फूट फूट कर रो पड़े।
मौके पर शिक्षक सुखेन गण ने बताया 07 अगस्त 1989 में जामताड़ा जिला के नारायणपुर शैक्षणिक अंचल के बरियारपुर में योगदान कर 33 वर्ष सरकारी सेवा प्रदान किया। योगदान के बाद दुमका एंव जामताड़ा जिले के विभिन्न विद्यालयों में सेवा देकर वर्ष 2001 में कुंडहित प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय मांजगेड़िया योगदान दिया। 33 साल सरकारी विद्यालयों में बच्चों के बीच मन और लगन से सेवा प्रदान की है। मैंने हमेशा बच्चों के बीच में रहकर बच्चों को शिक्षा प्रदान की है। कभी भी किसी अभिभावक, ग्रामीण एंव बच्चों को शिकायत का मौका नही दिया। मैंने हमेशा समय के पहले तथा विद्यालय छुट्टी होने के बाद सब समाप्त कर घर जाता हूं। मैंने जिस जिस विद्यालय में गया वहां विद्यालय को शिक्षा की मंदिर बनाकर बच्चों को शिक्षा प्रदान की। मौके पर संजय वाद्यकर, कुनाल गौस्वामी, प्रणय सिंह, जयदेव लायेक, दुलाल माजि, स्वपन पातर, निर्मल घोष, घनश्याम गोराई सहित विद्यालय के छात्र छात्राएं, विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्य एवं ग्रामीण उपस्थित थे।
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