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आंखों का साइलेंट किलर है काला मोतिया : डॉ. सोमनाथ डावर
Namo TV Bharat March 16, 2023
आंखों का साइलेंट किलर है काला मोतिया : डॉ. सोमनाथ डावर
वर्ल्ड ग्लूकोमा वीक के चलते काला मोतिया की जागरूकता के लिए आयोजित की प्रेस वार्ता
विनोद राजपूत
श्रीगंगानगर। ग्लूकोमा (काला मोतिया) को आम भाषा में आंखों का साइलेंट किलर कहा जा सकता है, क्योंकि इसके अधिकांश प्रकारों में आम तौर पर कोई दर्द नहीं होता है और ध्यान देने योग्य दृष्टि हानि होने तक पता चलना मुश्किल होता है। ये बात आज मीरा चौक स्थित डावर आई हॉस्पिटल में वर्ल्ड ग्लूकोमा वीक के उपलक्ष में आयोजित प्रेस वार्ता में वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. सोमनाथ डावर ने कही। काला मोतिया की जागरूकता के लिए आयोजित इस प्रेस वार्ता में डॉ. डावर ने बताया कि काला मोतिया नेत्र विकारों का एक समूह है जो ऑप्टिक नर्वों को नुकसान पहुंचाता है, जो आंख से मस्तिष्क तक जानकारी पहुंचाती है। ज्यादातर मामलों में काला मोतिया आंख के अंदर उच्च-से सामान्य दबाव (प्रेशर) से जुड़ा होता है एक स्थिति में जिसे हाइपरटेंशन कहा जाता है। काला मोतिया में पहले पेरिफेरल वीजन होती है और आगे चल कर अंत में पूर्ण रूप से अंधापन यानि ब्लाईडनेज हो सकती है।
डॉ. डावर ने बताया कि मोतियाबिंद के बाद काला मोतिया दृष्टिविहीनता का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। उन्होंने बताया कि काला मोतिया की दो प्रमुख श्रेणियां हैं, ओपन एंगल ग्लूकोमा (ओएजी) एवं क्लोज्ड एंगल ग्लूकोमा (एसीजी) काला मोतिया की पहचान के लिए उसके लक्षणों के बारे में बताते हुए डॉ. डावर ने बताया कि ग्लूकोमा के अधिकांश प्रकारों में, आम तौर पर कोर्द दर्द नहीं होता है और ध्यान देने योग्य कोई बात नहीं होती है, लेकिन क्लोज्ड एंगल ग्लूकोमा में अचानक लक्षणों का अनुभव होता है जैसे धुंधली दृष्टि, रोशनी के आसपास प्रभामंडल दिखना, आंखों में तेज दर्द होना, उलटी होना इत्यादि । काला मोतिया के बजाव और सही समय पर स्क्रीनिंग के विषय में बोलते हुए डॉ. डावर ने कहा कि नियमित रूप से हमें आंखों की जांच करवानी चाहिए और नियमित जांच के समय आंखों के प्रेशर को आईओपी (इंट्रा आईकुलर प्रेशर) को मापने वाली मशीन की मदद से जांचना चाहिए ताकि समय रहते हमें काला मोतिया के बारे में पता चल सके।
एक असामान्य रूप से उच्च आईओपी रीडिंग आंख के तरल पदार्थ की मात्रा के साथ एक समस्या को इंगित करता है, जिसमें या तो आंख बहुत अधिक तरल पदार्थ का उत्पादन कर रही होती है, जिसे वह बाहर नहीं निकाल पा रही होती है। आम तौर पर आईओपी 21 मिलीमीटर से नीचे होना चाहिए, यदि ये रीडिंग 30 से ऊपर है तो काला मोतिया से दृष्टि हानि का जोखिम बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि नियमित नेत्र जांच अपने डेली रूटीन में शामिल किया जाना चाहिए और साथ में नियमित जांच के साथ-साथ आईओपी की जांच भी करावाये ताकि आंख के प्रेशर का पता चल सके। डॉ. डावर ने बताया कि नियमित व्यायाम और एक सक्रिय जीवन शैली के साथ धूम्रपान नहीं करने व स्वस्थ वजन बनाए रखे और स्वस्थ लेस ओयली डाइट ले तो काला मोतिया होने की संभावना कम हो जाती है। प्रेस वार्ता में डॉ. कर्मजीत कौर डावर, एडगुरू राजकुमार जैन, सौरभ जैन आदि भी उपस्थित रहे।
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