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November 03, 2024
पावन एमएसजी अवतार माह भण्डारा मानवता को रहा समर्पित
Namo TV Bharat January 15, 2024
पावन एमएसजी अवतार माह भण्डारा मानवता को रहा समर्पित
- ठंड पर श्रद्धा भारी, मौजपुर धाम पहुंचे हजारों श्रद्धालु
- जरूरतमंद परिवारों को गर्म कंबल गर्म वस्त्र वितरित
- नशीले पदार्थों के सेवन से घर के मुखिया की मौत होने वाले परिवारों को रोजमर्रा का सामान देकर दिया सम्बल
रिपोर्ट: विनोद राजपूत
श्रीगंगानगर। डेरा सच्चा सौदा की दूसरी पातशाही परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज को समर्पित पावन एमएसजी अवतार माह भंडारा रविवार को श्रद्धापूर्वक मनाया गया। घने कोहरे व ठंड के बावजूद हजारों श्रद्धालुओं ने मौजपुर धाम में आयोजित इस कार्यक्रम में शामिल होकर भक्ति रस में सराबोर होकर प्रभु नाम का सिमरन किया। सत्संग के दौरान पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन वचनों का बड़ी-बड़ी स्क्रीनों के माध्यम से प्रसारण किया गया। पावन भंडारे के उपलक्ष्य में पहुंची हजारों की साध संगत को गुरु का अटूट लंगर वितरित किया गया।
दूसरी पातशाही परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज का पावन एमएसजी अवतार माह भंडारा को लेकर श्रद्धालुओं में भारी उत्साह देखने को मिला। इस दौरान नाम चर्चा सत्संग का आयोजन किया गया। कविराज भाइयों ने जन्म माह के उपलक्ष्य में मधुर भजनों का गायन कर समां बांध दिया।
सेवादार वेद रहेजा इन्सां ने बताया कि पावन भंडारे के उपलक्ष में मानवता भलाई कार्यों के तहत 105 बच्चों को गर्म वस्त्र, 105 परिवारों को गर्म कम्बल व 15 परिवारों को ‘सहारा है इन्सां’ मुहिम के तहत घर के मुखिया की नशे से मौत होने पर परिवार को रोजमर्रा का सामान प्रदान कर सम्बल प्रदान किया गया। पावन भंडारे पर पहुंचे श्रद्धालुओं को गुरु का पत्र पढक़र सुनाया गया।
उपस्थित श्रद्धालुओं को अपने समाज को नशा मुक्त करने का आह्वान करते हुए पूज्य गुरुजी का भजन ‘आशीर्वाद ले लो माओं का’ सुनाया गया। पावन भंडारे के अंत में प्रभु नाम का सिमरन किया गया। इस दौरान ट्रैफिक के विशाल बंदोबस्त किए गए थे। इसके अलावा भंडारे पर पहुंचे श्रद्धालुओं के लिए पेयजल, चिकित्सा, दमकल आदि के व्यापक बंदोबस्त किए गए थे।
सच्चा सौदा एक बेमिसाल दर, सतगुरु के बताएं मार्ग पर चलने से मिलती है दया मेहर :- पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने फरमाया कि ये सच्चा सौदा एक ऐसी बेमिसाल मिसाल बना है, जिसने ऐसे-ऐसे घरों को जो नरक के मानिंद बन गए थे, स्वर्ग में बदल दिया। ऐसे-ऐसे परिवारों को जिनके घर में दो समय का खाना भी नसीब नहीं होता था, साईं मस्ताना जी दाता रहबर के सच्चे सौदे ने आज उनको जहाजों पर सैर करवा दी।
सूफी, रूहानी फकीर जहान की हर चीज बताते हैं, लेकिन साईं जी ने तो दोनों जहान की जिम्मेवारी ले ली कि यहां-वहां कोई कमी नहीं छोड़ेंगे। एक पैर यहां जब तक टिका रहेगा तब तक भी, दूसरा पैर सचखंड में। इसका बहुत बड़ा मतलब है, आप चुटकियों में, जीते जी आप परमपिता परमात्मा को देख सकते हैं, शब्द कितने रहे पाँच, तीन और अब एक। और ये कोई नई चीज नहीं है, पहले परमपिता शाह सतनाम जी दाता रहबर ने जब पाँच से तीन शब्द किए थे तो क्यों, किन्तु, परन्तु करने वाले तो तैयार बैठे होते हैं। बेपरवाह जी के सामने कहा कि जी, पांच के बिना तो अंदर की धुन सुनेगी ही नहीं।
बेपरवाह जी ने तब ये वचन किए कि आप तीन की बात करते हो सतगुरु चाहे तो एक ही काफी है। तो भूल गए आप, किसी को याद ही नहीं था कि यार ऐसा भी होगा, अब ऐसा हो गया। अब तीन, पाँच वालों को चक्कर पड़ा हुआ है कि यार हमारे वाला (गुरु मंत्र) बड़ा है, ये नए जो आ रहे हैं, इनका एक (शब्द) में ही काम हो रहा है। घबराओ मत आपका पाँच में काम हो जाएगा, तीन वाले का तीन में हो जाएगा, घबराओ मत असर उतना ही होना है। कहते कि जी, वो नाम लेना आसान है थोड़ा। शॉर्टकट ढूंढते हैं सारे। तो कहने का मतलब बेपरवाह जी ने जैसे-जैसे कलियुग का जोर बढ़ता गया तो उन तरीकों को उसी तरीके से अपनाया कि एक छोटा बच्चा भी उस एक शब्द को लेकर अच्छे से भक्ति कर सकता है। विदेशियों को तीन शब्द बड़े लगते थे अब उनको एक लेना है वो फट याद कर लेते हैं। हमारे बोलते-बोलते याद कर लेते हैं, बाद में कम ही याद करवाना पड़ता है।
आज का टाइम बहुत ही खतरनाक है, आने वाला टाइम परमपिता जी के वचन और भी खतरनाक है, लेकिन जो दाना धुरी के साथ जुड़ा है वो पीसता नहीं, बाकी सारे दाने पीस जाते हैं। और आज उस धुरी से, उस किले से जुड़े रहना बड़ा मुश्किल है। खान-पान, देखना-सुनना, खाना-पीना मतलब आदमी का दिमाग एक अलग दिशा में जा रहा है। क्योंकि कलियुग यौवन पर नहीं बल्कि पीक पर है, मतलब आदमी को लगता है कि भक्ति क्या फिजूल की बातें हैं, ऐसी ही है और यही वो समय होता है जब वो परमपिता परमात्मा बहुत बड़ा बदलाव लाता है। जब आदमियों के अंदर अहंकार बहुत बढ़ जाता है, जब संत, महापुरुषों, पीर-फकीरों की बातें फिजूल लगने लग जाती हैं।
संत महात्माओं का एकमात्र मकसद मानवता की भलाई करना है और मानव भलाई के लिए संत तरह के खेल खेलते रहते हैं जो हर किसी के समझ में नहीं आते लेकिन मुरीद को अपने सतगुरु पर दृढ विश्वास रखते हुए सेवा सिमरन के मार्ग पर चलते रहना चाहिए। पूज्य गुरुजी ने फरमाया कि आप कर्मयोगी हो, इसलिए सतगुरु के बताए मार्ग के अनुसार चलते जाइए, प्रभु परमात्मा की दया मेहर जरूर हासिल होती है। इस अवसर पर हजारों की संख्या में डेरा सच्चा सौदा अनुयाई उपस्थित थे।
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