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May 06, 2024
मन में छुपे बुराई रूपी रावण का भी आज करें अंत, रामलीला मैदान में धूमधाम से मनाया गया दशहरा पर्व
Namo TV Bharat October 25, 2023
मन में छुपे बुराई रूपी रावण का भी आज करें अंत, रामलीला मैदान में धूमधाम से मनाया गया दशहरा पर्व
स्व. श्रीमती चंद्रकला चांडक चैरिटेबल ट्रस्ट ने किया आयोजन
विनोद राजपूत
श्रीगंगानगर। शहर के रामलीला मैदान में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा पर्व धूमधाम से मनाया गया। स्व. श्रीमती चंद्रकला चांडक चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से इस दशहरा पर्व का आयोजन किया गया था। जिसमें हजारों के तादाद में शहर तथा आसपास के ग्रामीण क्षेत्र की जनता शामिल हुई और पर्व का आनंद लिया।
नागरिकों में दशहरा पर्व की उत्सुकता इतनी अधिक थी कि लोग अपने बच्चों को लेकर सुबह से ही रामलीला मैदान पहुंचकर रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतलों को देखने के लिए पहुंचने लगे तथा अपने मोबाइल में फोटो ले रहे थे।
मुख्य कार्यक्रम अपराह्न 4 बजे आरंभ हुआ। ट्रस्ट से जुड़े चांडक परिवार के सदस्यों ने आगंतुकों का स्वागत किया। इस अवसर पर प्रसिद्ध भजन गायक गोपाल भारद्वाज द्वारा राम कथा और रामायण से जुड़े भजनों की अमृत वर्षा कर रामलीला मैदान में मौजूद नागरिकों को भाव विभोर कर दिया। स्व. श्रीमती चंद्रकला चांडक चैरिटेबल ट्रस्ट के सौजन्य से रामलीला मैदान में रावण मेघनाथ और कुंभकरण के पुतलों के साथ-साथ लंका का प्रारूप बनाया गया। राम कथा के दौरान ही शहर के मुख्य मार्गो से होते हुए भगवान राम और रावण की सेनाएं आपस में युद्ध करती हुई रामलीला मैदान पहुंची।
इस अवसर पर समाजसेवी श्रीमती करुणा अशोक चांडक ने नागरिकों का अभिनंदन करते हुए दशहरा पर्व की सबको शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम की लंका विजय बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। वैसे तो रामायण हमें संस्कारवान बनाती है, लेकिन वक्त के साथ-साथ हम संस्कारों में क्षीण होकर नशा, अपराध और व्यभिचार से ग्रसित होते जा रहे हैं। हमारे अंदर पनपने वाली यह बुराइयां भी किसी रावण से कम नहीं है। इसलिए आज हमें दशहरा के इस पावन पर्व पर रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतलों के साथ-साथ मन में बैठे बुराई रूपी रावण का भी दहन करने का संकल्प लेना है ताकि हमारा जीवन और समाज पूर्णतया स्वस्थ और विकास की ओर अग्रसर हो।
श्रीमती चांडक के संबोधन के साथ ही भगवान राम के बाण से रावण धराशाई हो गया और उसका पुतला धड़कने लगा। एक-एक कर रावण मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले आंख की लपटों से घिर गए।
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